हाय दोस्तो.. मेरा नाम नीमुष है.. मैं गाज़ियाबाद का रहने वाला हूं, मेरा कद 5’10” है रंग सांवला और मेरे लंड का साइज़ साढ़े छह इंच है। मैं अन्तर्वासना का नियम पाठक हूं, मैंने यहां बहुत सारी कहानियां पढ़ी हैं और आज मेरा मन अपनी कहानियां कहने का हो रहा है। meri college ki ladki ki chudai ki kamuk antaravasna sex kahani.
बात तब की है.. जब मैं गजियाबाद के एक कॉलेज में पढ़ता था। मेरे क्लास में एक लड़की थी.. तृषा मिश्रा.. साली क्या माल थी.. उसके मम्मे 34″ और चूतड 36″.. वो तो सबसे मस्त थे.. क्लास के सारे लड़के उसके चूतड के पीछे पड़े थे। गांड भी इतनी सुडौल और टाइट की पूछो मत.. जब साली चलती थी तो उसकी गांड गजब की मटकती थी.. सारे लड़के उसकी गांड को निहारते थे।
उसकी शक्ल किसी हूर की परी जैसी तो नहीं थी.. मगर काम चलाने लायक तो थे ही.. और उसका रंग दूध सा धुला भी नहीं था.. मगर उसका अंदाज़ इतना सेक्सी था कि ऐसा लगता था मानों साली चुदाई के लिए ही पैदा हुई हो.
तृषा को पटाने के लिए तो बहुत पापड़ बेलने पड़े।
खैर.. उसमें अकल की थोड़ी कमी थी.. तो वो बस भाव खाती थी।
मगर जब मैं भाव देना बंद कर देता था.. तो रांड की तरह गांड उठा कर आ जाती थी।
एक दिन मैंने उसे गजियाबाद के पार्क में नोट्स के बहाने बुलाया.. मुझे पता था कि साली रंडी है.. वो तो आएगी ही क्योंकि मैंने बहुत बार महसूस किया था कि वो लड़कों से कुछ ज्यादा ही चिपकती है।
जब वो पार्क में आई.. तब सर्दियों का मौसम था और 5 बजे थे, मैंने इधर-उधर की बातों में उसे उलझा दिया।
मैं तो अँधेरे का इंतज़ार कर रहा था.. जैसा ही अँधेरा हुआ.. पार्क में से लोग निकालने लगे। वो भी जाने को थे.. मगर मैंने उसे किसी बहाने से रोक लिया और उसका हाथ पकड़ लिया।
उसने कोई विरोध नहीं किया तो मैं समझ गया कि लोहा गर्म है.. हथौड़ा चला ही देना चाहिए।
मैं उसका हाथ पकड़ कर बैठा रहा, थोड़ी देर बाद उसका हाथ अपने शॉर्ट्स के ऊपर जाँघ पर रखा.. मगर उसका कोई भी विरोध नहीं हुआ।
तो मैंने दूसरे हाथ से अपने लंड को उसके तरफ वाले ने कहा कि मैंने घुमा दिया और अब उसकी उंगलियां मेरे लंड को छू रही थीं।
बस मुझसे रहा नहीं गया और उसका हाथ उठा कर अपने लंड पर रख दिया।
उसने मेरी तरफ देखा नहीं.. मगर अपनी मुट्ठी में मेरे लंड को भर लिया.. और वो लौड़ा दबाने लगी।
मैंने उसकी तरफ देखा और उसने मेरी तरफ.. और हम दोनों ने एक-दूसरे को चूमना शुरू कर दिया।
उसका एक हाथ मेरे लंड पर था और जुबान मेरे मुँह में जुबान से चिपकी हुई थी।
मैंने आव ना देखा ताव और लंड अपने शॉर्ट्स से बाहर निकाल लिया।
हम बैठे हुए थे और उसने जोर-जोर से मेरे लैंड को आगे-पीछे करना शुरू कर दिया और मेरा हाथ उसने अपनी पैंट के ऊपर से अपनी चूत पर रख दिया।
मैंने अपना हाथ उसकी पैंट के अंदर घुसाने की कोशिश की मगर उसने मेरे हाथ रोक लिया।
हम एक-दूसरे को चूमे जा रहे थे। मैं उसे चूमता हुआ उसके गले तक आ पहुंचा था.. और अब उसके टॉप के ऊपर से उसके मम्मे चूम रहा था।
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मैंने उसको टॉप नीचे से उठाने को बोला.. मगर उसने मना कर दिया।
कुछ देर में मैं झड़ भी गया था और मेरा पूरा माल उसके हाथों में आ गया।
इसे वो सकपका गई और उसने अपने हाथों पर लगे हुए मेरे माल को मेरे शॉर्ट्स से पोंछ दिया।
अब वो भी थोड़ी शांत सी हो गई थी और हम दोनों ने उठ कर अपने कपड़े ठीक किए और अपने-अपने घर को वापस लौट गए।
मगर ये आग अभी कहाँ बुझी थी।
मुझे तो उसके मम्मों का दूध पीना था और उसकी गांड मरानी थी। अब मैंने उसकी गांड कैसे मारी, वो सुनो।
मैं जब रात में अपने घर पहुंच गया, तब मुझसे रहा नहीं गया। मैंने उसको कॉल किया और रात में हम दोनों ने फोन पर सेक्स चैट की।
मैंने उससे सेक्स करने को पूछा।
उसने कहा – इससे उसकी सील टूट जाएगी और उससे कोई शादी नहीं करेगा।
मैंने कहा – मैं तुमसे सच्चा प्यार करता हूं और मैं ही तुमसे शादी भी करूंगा।
इस पर थोड़ी देर सोचने और थोड़े भाव खाने के बाद वो मुझसे चुदवाने को तैयार हो गई।
अगले दिन हमने अपना कॉलेज बंक करने का प्लान बना लिया था। तय समयानुसर और जगह पर वो मुझसे मिली.. जैसा कि मैंने पहले से प्लान किया था।
अपने एक दोस्त से उसके कमरे की चाबी ले ली थी मैंने। मेरा दोस्त कॉलेज चला गया और मैंने लुब्रिकेंट, मोमबत्ती और कंडोम खरीद लिया था।
रात में इंटरनेट पर वीडियो भी देख ली थी कि गांड कैसे-कैसे मारते हैं।
मैं उसे लेकर अपने दोस्त के कमरे पर पाहुंचा और अपने लैपटाप पर एक होलेवुड वाली फिल्म चला दे.. ताकि कमरे से बाहर हमारी आवाज नहीं जाए।
अब मैंने उसे पलंग पर बिठाया और उससे पूछा- तुमने अपने झांटें साफ की हैं या नहीं?
तो उसने शरमाते हुए बोला – एक हफ्ते पहले साफ किया था।
मैं उसे लेकर बाथरूम में घुस गया और उसे कमोड पर बिठा कर उसके कपड़े उतारने लगा।
पहले तो वो शरमाने लगी और मुझसे मेरे कपडे उतारने को कहा। मैंने झट से अपने कपडे उतार दिया और लंड उसके हाथ में दे दिया।
तो उसने शरमाते हुए कहा – तुमने तो अपने बाल साफ कर लिए।
मैंने उसके हाथ से अपना लंड निकाला और उसकी चूत पर वीट हेयर रिमूवर क्रीम लगा दी।
अब मैंने उसे घोड़ी बना कर बैठाने को कहा।
उसने वैसा ही किया। मैंने फिर बहुत सारी क्रीम उसकी गांड पर और उसके छेद के पास लगा दी।
फिर उसे सीधे होकर बैठने को बोला।
मैंने उसे अपना लंड चूसने को कहा।
उसने मन कर दिया.. तो मैंने उसे समझाया-बुझाया.. तो वो मेरे लंड को चूसने लगी।
उसने चूमते-चूमते लौड़े को अपने मुँह में ले लिया और अब मैं जन्नत में था।
लगभाग 2-3 मिनट तक उसने मेरा लंड चूसा.. फिर मैं उसे मम्मे चूसने लगा।
दस मिनट मैंने उसके मम्मे चूसे.. आअहह.. क्या शहद से उसके मम्मे चूसे।
मेरे हाथों में एकदम सख्त मम्मों को पकड़ने का मस्त अहसास हुआ।
अब मैं उसकी झांटों को हटाने लगा.. पांच मिनट लागे.. उसे पूरा चिकना बनाने में।
मैंने उसे गोद में उठाया और उसे ले जा कर पलंग पर पटक दिया.. और अब हम दोनों ने एक दूसरे को चूमना शुरू किया।
पहले-पहल धीरे-धीरे गले तक.. फिर मम्मों तक.. फिर नाभि से नीचे आते आते मैंने उसकी चूत पर अपनी जीभ रख दी।
वो मचलने लगी और थोड़ी देर बाद बोलने लगी- अब घुसा भी दो अपना लंड मेरी चूत में।
मैंने फिर अपने लंड पर कंडोम चढ़ाया.. मैंने सोचा इसका पहली बार है.. इसे दर्द होगा.. तो मैंने धीरे से घुसा देना शुरू किया।
मगर मेरे घुसाने से पहले ही वो खुद मेरे तरफ खिसक आई और मेरे पूरा लंड उसकी चूत में घुसता चला गया। मगर खून एक बूंद भी नहीं निकला.. तो मैं समझ गया कि साली रंडी है।
मगर मुझे क्या.. मुझे तो इसे चोदने से मतलब था।
मैंने सोचा कि सील ना तोड़ पाने का गुस्सा अब इसकी गांड पर निकलेगा।
उसकी चूत के अंदर मेरा लंड जल रहा था.. और मैं 5 मिनट के अंदर जल्दी ही झड़ गया।
उसे लंड बाहर निकालने को बोला.. तो मैंने अपना लंड बाहर निकाला और एक तरफ निधाल होकर पड़ा रहा।
इस साली रांड का आदमी अब भी नहीं भरा था।
वो आकार मुझे पकड़ के लेट गई और किसी हब्शी की तरह मुझे चूमने लगी और कहने लगी- मैं अभी तक नहीं झड़ी.. मुझे और चोदो।
मेरे अंदर अब ताकत नहीं बची थी।
उसने मेरा हाथ अपनी चूत के अंदर डाल लिया और मुझसे बोली- उंगली अंदर-बाहर कर ना।
ऐसा 3-4 मिनट करने पर वो झड़ जाए।
फिर हम दोनों एक-दूसरे की बाहों में सो गए.. कुछ देर बाद मेरी नींद खुली तो मैंने देखा कि वो जाग चुकी है और मेरे लैपटाप में मूवी देख रही थी।
मैंने देखा कि उसने अभी तक कपड़े नहीं पहने हैं और उसकी गांड का छेद मेरी तरफ था।
मैंने सोच लिया था कि आज तो इसकी बजानी ही है.. चाहे मेरे अंदर ताकत रहे या ना रहे.. क्योंकि पता नहीं ये मौका फिर कब मिलेगा।
मुख्य पीछे से उसे नजादीक गया और उसकी गांड के छेद को चूमना शुरू कर दिया और अपने जीवन उसे छेद में अंदर-बाहर करने लगा।
इस पर वो सिस्कारियां भरने लगी और कहने लगी – ओह्ह.. दर्द भी हो रहा है और मजा भी आ रहा है.. और जल्दी-जल्दी करो ना।
उसकी सिसकियों से मैं भी जोश में आ गया और मैंने उसकी गांड के छेद को जोर-जोर से अपने थूक की मदद से चूमने लगा।
अब मुझसे रहा नहीं गया और मैंने अपने बैग से लुब्रिकेंट निकाला और उसकी गांड पर बहुत सारा लुब्रिकेंट लगा दिया।
उसने गांड मारी का नाम सुन कर अजीब सा मुंह बना लिया था.. मगर समझने-बुझाने पर वो मान गई।
मैंने अब बैग से तीन साल पहले मोमबत्तियां निकालीं और उनमें ढेर सारा लुब्रिकेंट मल दिया। फिर सबसे पतली वाली मोमबत्तियां को उसकी गांड में धीरे-धीरे घुसाना शुरू किया.. वो दर्द से कराहने लगी और रोने लगी।
तो मैं समझ गया कि इसकी गांड अभी तक कोरी है.. इसे किसी ने नहीं मारा।
अब तो मुझे और भी ज्यादा जोश आ गया और मैंने जोर-जोर से मोमबत्तियां अंदर-बाहर करनी शुरू कर दीं।
वो रोने लगी और गिड़गिड़ाने लगी.. मगर मैंने इसे फिर समझाया- आज नहीं तो कल तेरी गांड तो खोलेगी ही होगी.. और जितनी देर से खोलेगी.. उतना ज्यादा दर्द होगा।
वो मेरी बातों में आ गई और फिर मैंने 2″ मोटे वाली मोमबत्ती उसकी गांड में डाली।
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वो रोई.. मगर फिर शांत भी हो गई।
अब बारी थी, असली जलवे की।
मैंने कंडोम पर कंडोम फिर से चढ़ाया और इसकी गांड को फिर से लुब्रिकेंट से भरा और अपने लंड पर उसकी पूरी शीशी खाली कर दी।
फिर मैंने धीरे-धीरे उसकी गांड में अपना लंड डालना शुरू किया.. मगर अब ये चीख भी नहीं रही थी।
इसने दांत पर दांत चढ़ा लिया और मैंने अपनी कोशिश जारी रखी और जोर भी बहुत लगाया.. आखिरी मेरा लंड पूरी तरह से उसकी गांड में समां गया।
अब मैंने थोड़े देर लौड़े को अंदर रखा और फिर धीरे-धीरे बाहर निकाला.. फिर धीरे से अंदर डाला.. फिर निकाला.. ऐसे 10-15 बार करने से मैं झड़ने को आ गया।
मैंने पूछा- अंदर निकल दूं..!
तो उसने हमें में सर हिलाया.. क्योंकि मैंने कंडोम लगाया था.. तो उसे कोई परेशानी नहीं हुई और आख़िरकार मैंने उसकी गांड मार ही ली।
उसके बाद मैं इतना ज्यादा थक गया था कि मुझसे उठा ही नहीं जा रहा था.. फिर हमने अपना चुदाई कार्यक्रम खत्म किया और अपने घर को लौट आए।
वो मेरी लड़की-फ़्रेंड पूरे एक साल तक मेरे लंड की खुराक रही.. और मैंने साल भर उसकी गांड मारी।
उसकी गांड अब पहले से चौड़ी हो गई है और वो अब अपने किसी और आशिक से गांड मरवाती फिरती है। आख़िर ना शकल ना अकाल.. तो गांड मारने के ही तो काम आएगी ना..