हेलो दोस्तो, मेरा नाम दिया है| मैंने देसी कहानी साइट पर सारी कहानियां पढ़ी हैं, इनको पढ़कर मुझमें भी हिम्मत आ गई है कि मेरे साथ जो घटा कुछ समय पहले, वो मैं शेयर कर सकता हूं.. आप सब मेरी सैक्स स्टोरी पढ़ें और अपने विचार कमेंट्स में बताएं। Meri jabardasti chudai ki kamuk sex kahani padhne ke liye dhanyawad.
काफ़ी देर हो चुकी थी तुम उस रात को ओफ़िस से निकलते हो। मैंने जल्दी-जल्दी अपनी सारी ठीक की और ऑफिस का दरवाजा बंद कर के चली।
मेरे कार पार्किंग में दूर अँधेरे कोने में अकेली खड़ी हुई थे। बहुत ज़ोरों से बारिश हो रही थी और बादल भी जम कर गरज रहे थे।
मैं पूरी तरह भीग चुकी थी और ठंडे पानी से मेरे ब्लाउज के अंदर मेरे निपल एकदम खड़े हो गए थे। मेरा ब्लाउज मेरे रसीले मम्मों को ढांकने की नाकामयाब कोशिश कर रहा था।
मेरे एक तिहाई मम्मे ब्लूज़ के लो-कट होने की वजह से और साड़ी के भीग जाने से, एकदम साफ नज़र आ रहे थे।
मैंने साढ़े चार इंच ऊँची एड़ी के जूते पहने थे और पानी में फिसलने के डर से धीरे-धीरे चलने की कोशिश कर रहे थे।
हवा भी काफी तेज थी और इस वजह से मेरा पल्लू इधर-उधर हो रहा था, जिसकी वजह से मेरी नाभि साफ देखी जा सकती थी।
मैं आमातौर पे सारी नाभि के तीन-चार ऊँगली नीचे पहनती हूँ। पूरी तरह भीग जाने की वजह से, मैं एकदम नंगी नज़र आ रही थी क्योंकि मेरी साड़ी मेरे पूरे जिस्म से चिपक गयी थी। ऊपर से मेरी साड़ी और पेटीकोट कुछ हद तक झलकादार थे।
मैं जितनी जल्दी-जल्दी हो सका, अपने काम के करीब पहुंच गया। मुझे मेरे आस-पास क्या हो रहा था उसका बिल्कुल एहसास ही नहीं था।
मैंने देखा कि सिर्फ मेरी कार पार्किंग में थी और वहां घना अंधेरा छाया हुआ था। बारिश एकादम ज़ोरों से बरस रही थी।
मुख्य कोर्नर पे मुड़ी और अपनी कार के करीब आ के अपने पार्स में से चाबी निकालने लगी।
अचानक किसी ने मुझे एक जोर का धक्का लगाया और मैं अपनी कार के सामने जा टकराई।
“हिल मत कुतिया!”
मुझे एहसास हुआ कि किसी ताकतवर मर्द का जिस्म मुझे सिर्फ कार की तरफ धक्का दे रहा था।
उसका धक्का में इतना ताकत थी कि उसने मेरे फेफडों से सारी हवा निकाल दी थी। जिसकी वजह से मैं चिल्ला भी ना सकी।
मैं एकदम घबरा गयी.
बारिश इतनी तेज़ हो रही थी कि आस-पास का ज़रा भी नज़र नहीं आ रहा था। और जहां मेरी कार खड़ी हुई थी, वहां मुझे कोई देख भी नहीं सकता था।
वो आदमी मुझे हर जगह छूने लगा।
उसके हाथ बेहद मजबूर थे… जैसे लोहे के बने हो।
उसने मेरा पल्लो खींच के निकाल दिया और मेरे मम्मों को जोर-जोर से दबाने लगा और मेरे पहले से टाइट हो चुके निप्पलों को मसलने लगा।
वो गुर्राया.
उसकी इस आवाज़ ने जैसे मुझे बेहोशी में से उठाया हो और मैंने भगाने की नाकाम कोशिश की।
फिर उसने मेरे एक मम्मे को छोड़ दिया, मेरे गीले हो चुके बालों से मुझे खींचा।
“आआआआआह…।” मैं जोर से चिल्लाई और मैंने उसके सामने लड़ना बंद कर दिया।
“अगर तू जिंदा रहना चाहता है तो… ठीक तरह से पेश आ! समझी कुतिया… अभी मैं तुझे अपनी तरफ से मोड़ रहा हूँ… अगर जरा भी होशियारी दिखायी तो…!!”
उसने मुझे धीरे से अपनी तरफ मोड़ा।
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इस दौरन उसने अपना जिस्म मेरे जिस्म से सताया रखा। उसका लंड मेरे गीले जिस्म को घिस रहा था, और मेरी चूत में थोड़ी सरसराहट हुई।
मैंने ऊपर देखा. मैंने इस बार उसे पहली बार देखा। वो एक लंबा-चौड़ा और काला आदमी था। उसने अपने जिस्म पर एक पैंट और सर पर टोपी के अलावा कुछ नहीं पहना था।
उसका कसरती जिस्म ने मुझे किसी बॉडी-बिल्डर की याद दिला दिया। वो एकादाम काला और भयानक था और ऐसी अंधेरी रात में मुझे सिर्फ उसकी आंखें और उसके काले जिस्म पे दौड़ती हुई बारिश की बूंदें ही नज़र आती थीं।
मैं डर से थर-थर कांपने लगी।
मेरे इतने ऊंचे हील के सैंडल पहनने के बाद वो करीबन मुझसे एक फूट लंबा था। मैं उससे रहम की भीख माँगने लगी।
“प्लीज़… प्लीज़ मुझे मत मारो।”
तभी एक जोरदार थप्पड़ मेरे गाल पे आ गिरा। मुझे तो ऐसा लगा कि मुझे तारे दिख गए। उसने मुझे मेरे बालों से पकड़ कर अपने मुंह तक ऊपर खींच लिया।
“प्लीज़ मुझे जाने दो…. मैं तुम्हें जो चाहो वो दे दूंगी… देखो मेरे पैर में पैसे हैं… तुम वो सारे के सारे ले लो…” मैं गिड़गिड़ाने लगी।
वो मेरे सामने जोर-जोर से हंसने लगा और बोला “देख… हरामजादे मुझे तेरे पैसे नहीं चाहिए… मुझे तो तेरी यह टाइट चूत चाहिए… मैं तेरी इस चूत को ऐसे चोदूंगा कि भी जिंदगी भर किसी दूसरे मर्द का लंड नहीं मांगेगी।”
उसकी बातों से मुझे तो जैसे किसी सांप ने सूंघ लिया हो ऐसी स्थिति हो गई। तभी मुझे ख्याल आया कि मेरे साथ जबरदस्त सेक्स होने वाला है। मैं बहुत घबरा गई थी और समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं।
बारिश अभी भी पूरे जोरों से बरस रही थी और बादलों की गड़गड़ाहट और बिजली की चमक ने पूरे आसमान को भर लिया था।
मेरे बाल बारिश की वजह से काफी भीग चुके थे और वो मेरे चेहरे को ढक रहे थे।
तभी उस काले लम्बे चौड़े आदमी ने मुझे कार के हद पे खींचा। उसके मुझे इस तरह ऊपर खिंचने से मेरी भीगी हुई साड़ी मेरी गोरी-गोरी जांगों तक ऊपर खिंच गई।
“पीछे झुक… पीछे झुक… हरामजादी!” वो गुर्राया.
मैं ज़रा भी नहीं हिली. वो तिलमिला गया और मेरे नज़ादीक मेरे चेहरे के पास आके एकादम धीरे से लेकिन डरावनी आवाज़ में बोला “मैं तेरी हालत इस से भी बदतर बना सकता हूँ… साली रांड!”
और मुझे एक धक्का देकर कार के बोनट पर लिटा दिया।
इस के साथ ही उसने अपना हाथ मेरी साड़ी के अंदर मेरी फेल हुई जांगों के बीच डाल दिया और झट से मेरी पेंटी फाड़ के खींच निकली।
मेरी पैंटी के गाने की आवाज, बारिश और बिजली की गड़गड़ाहट के बीच अंधेरी रात में दब गई। अब वो मेरे दोनों टैंगो को अपने मजबूत हाथों से पूरे जोर और ताकत से फैला रहा था।
कुछ पल के लिए मुझे लगा कि मैं कोई बुरा ख्वाब देख रही हूं और ये सब मेरे साथ नहीं हो रहा है। लेकिन जब वो फिर से गुर्राया तो मैं जल्दी ही हकीकत में वापस आ गई।
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उसने अब अपना एक हाथ मेरे पीछे रखा और मेरी कसी हुई गीली चूत में अपने दो मोटे उंगलियां घुसेड़ दी।
मैं दर्द से चिल्ला उठी!
लेकिन मेरी चीख़ बारिश और बिजली की आवाज़ के बीच दबकर रह गई। वो जरा भी वक्त गँवाए बिना मेरी चूत में ज़ोर-ज़ोर से ऊँगलियाँ अंदर-बाहर करने लगा।
मेरी चूत में उसके हर एक धक्के से मेरे निप्पल और ज्यादा कड़क होने लगे।
मेरी चूत में अपनी उंगलियों के हर एक धक्के के साथ वो गुर्राता था।
मेरा डर मेरी चूत तक नहीं पहुंच पाया और मेरी चूत में से रस झड़ने लगा, जैसी की चूत भी मेरे इज्जत लूटने वाले की मदद कर रही थी।
“हे भगवान… बेहद दर्द हो रहा है,”मैंने अपने आप को कहा और अचानक जैसे मैं सतावें आसमान पे थी।”ओह भगवान नहीं प्लीज़”।
और मेरी छूट उसकी उंगलियों के आस पास एकदम टाइट हो गई। मैंने अपनी आंखें बंद कर लीं और मेरी आंखों से आंसू मेरे चेहरे पे आ गए। बारिश की ठंडी बूंदों में मिल कर वो बह गई।
वो ज़ोर-ज़ोर से मेरी गीली चूत में उंगलियाँ अंदर-बाहर कर रहा था। हर दफा जब वो अपनी उंगलियां मेरी चूत के अंदर डालता था तो मैं चरम सीमा के करीब पहुंच जाती थी।
उसकी ताकत लाजवाब थी।
हर दफा वो मुझे मेरी गांड पकड़ के ऊपर करता और अपनी उंगलियां मेरी गीली चूत में जोर से घुसा देता था, जो अब चौड़ी हो चुकी थी।
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मेरा सारा अब चक्कर खा रहा था। मैं थोडी बेहोशी महसूस कर रही थी। मुझे पता नहीं था कि सच में ये उसकी ताकत थी या फिर मेरी मदहोश चूत थी, जो बार-बार मेरी गांड को ऊपर नीचे कर रही थी। मैंने काफी चाहा कि ऐसा ना हो।
तभी उसने अपना अंगूठा मेरी क्लिट पर रख कर दबाया।
एक झनझनाहट सी हो गई मेरे जिस्म में… मेरी चूत की दीवारें सिकुड़ गईं और मैं एकदम से झड़ गई।
मस्ती भरा तूफ़ान मेरे जिस्म में समा गया। मैं बहुत शर्मिंदगी महासूस करने लगी।
कैसे मैं अपने आप को ऐसी मस्ती महसूस करवा सकती थी जब वो आदमी मेरे साथ जबरदस्ती कर रहा था? मैं खुद को एक बहुत गंदी और रंडी जैसा महसूस करने लगी।
मैंने उसका हाथ पकड़ा के उसे रोकना चाहा तो वो हंसने लगा। वो जानता था कि मैं झड़ गयी हूँ।
“तू एकदम चालू क़िस्म की औरत है…क्यों? तू तो रांड से भी बदतर है… है ना? तुझे तो अपने आप पे शर्म आनी चाहिए” वो हंसते हुए बोला। वो हकीकत ही बयान कर रहा था।
मेरा सर शर्म के मारे झुक गया और मैंने अपना चेहरा अपने हाथों से ढक लिया और रोने लगी।
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झड़ाने की वजह से मेरे जिस्म में अजब सी गर्मी पैदा हो गई थी और बारिश की ठंडी बूंदें मेरे जिस्म को छेड़ रही थीं।
ठंडी हवा की वजह से मेरा पूरा जिस्म सिहर रहा था। मैं सच कहूं तो एक बजारू रंडी के तरह लग रही थी।
अचानक उसने मुझे धक्का दिया और मेरा हाथ पकड़ के मुझे घुटनो के बल बिठा दिया।
“अब मेरी बारी है रंडी और भी जानती है मुझे क्या चाहिए… है ना? तू जानती है ना?”
मैं जानता था वो क्या चाहता था।
जब उसने मेरे कंधे पकड़ के मुझे घुटनो के बाल बिठा दिया था। मेरा होंठ कांपने लगे थे। मैंने अपने चेहरे से हटाये और शर्म से अपना सारा हिलाया। मेरा दिमाग ना कह रहा था लेकिन मेरा दिल उसे देखने को बेताब था।
जब मैं अपने घुटनों पर था तब मैंने अपनी नज़रें उठा कर उसके चेहरे की तरफ देखा और खामोशी से मुझे जाने दो की फरियाद की।
पर जब मैंने उसकी आंखों में देखा तब मुझे एहसास हो गया कि उसे जो चाहिए वो मिलने से पहले वो मुझे नहीं जाने देगा।
जब मैंने उसकी पेंट की जिप को खोलना शुरू किया तो मेरे हाथ कांपने लगे। उसका लंड इतना टाइट था कि उसकी पेंट की ज़िप तो पहले से ही आधी नीचे आ गई थी।
मैंने उसकी बाकी की ज़िप नीचे उतार दी और झट से उसका तना हुआ काला लंड मेरे सामने सांप की तरह फुफकाराने लगा।
उसका लंड सच में काफी बड़ा था… तकरीबन 9 – 9.5 इंच का होगा। उसका लंड काफ़ी मोटा भी था… शायद तीन इंच होगा, और एकादाम काला! जैसे की ग्रेफाइट से बना हुआ हो।
किसी आम मर्द का तो शायद ऐसा नहीं होगा, काम से कम मैंने तो हकीकत में तब तक इतना लंबा और मोटा लंड नहीं देखा था।
“तुम अब इस लंड से प्यार करना सीखोगी मेरी रांड… सीखोगी ना?” उसने मुझसे पूछा.
मैं घबरा गई थी उसका लंड की लंबाई और मोटा देख कर, लेकिन फिर भी उसके लंड की कशिश मुझे अपनी ओर खींच रही थी।
ज़ोरों की बारिश की वजह से मेरे कपडे मेरे जिस्म से चिपक गए थे और मेरे मम्मों का शेप एकदम साफ नज़र आ रहा था। ब्रा भी मेरी टाइट हुई निपलों को नहीं ढक पा रही थी।
मैं बारिश की बूंदों को उसके लंड के ऊपर गिराते देख रही हूँ। इतना ठंडा पानी गिराने पर भी उसका लंड एक मजबूत खंबे की तरह ताना हुआ था।
मुझे ऐसा लगा कि वक्त मानो ठहर गया हो और मेरे आजू-बाजू सब कुछ स्लो-मोशन में हो रहा हो।
उसके लंड का मोटा सुपाड़ा मेरे चेहरे से सिर्फ तीन इंच की दूरी पर था।
उसके लंड को अपने आप झटके खाते देखने की वजह से मैं तो जैसे बेसुध सी हो गई थी।
मेरी जीभ अचानक ही मेरे मुंह से बाहर आ गई और मेरे नीचे वाले होठों पर फिराने लगी। मैं काफी घबराई हुई और कनफुज्ड थी।
मेरा दिल कह रहा था कि मैं उसके मोटे लंड को चूस लूँ पर दिमाग कह रहा था कि मैं अपने इस हाल पे रोना शुरू करूँ।
देसी सेक्स कहानी अगले भाग में जारी रहेगी। ….